रिसॉर्ट नहीं था, शोषण का अड्डा था! अब उम्रभर जेल में काटेंगे दरिंदे

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी हत्याकांड में आखिरकार इंसाफ की गूंज सुनाई दी है। कोटद्वार स्थित अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (ADJ कोर्ट) ने इस बहुचर्चित मामले में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता को दोषी मानते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुना दी है।

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कोर्ट का फैसला: कठोर आजीवन कारावास और जुर्माना

अधिवक्ता अरविंद वर्मा के अनुसार, कोर्ट ने दोषियों को विभिन्न धाराओं में दोषी पाया:

  • धारा 302 (हत्या) – कठोर आजीवन कारावास और ₹50,000 जुर्माना

  • धारा 201 (सबूत मिटाना) – 5 साल कठोर कारावास, ₹10,000 जुर्माना

  • धारा 354A (यौन उत्पीड़न) – 2 साल कठोर कारावास, ₹10,000 जुर्माना

  • धारा 3(1)(D) – 5 साल की सज़ा और ₹2,000 जुर्माना

साथ ही अदालत ने पीड़िता के परिजनों को ₹4 लाख का प्रतिपूर्ति मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।

केस का बैकग्राउंड: अंकिता की चुप्पी नहीं, आवाज़ बन गई

सितंबर 2022 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले की रहने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी ऋषिकेश के चीला रोड स्थित वंतरा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम कर रही थीं।

कुछ ही दिन बाद वह लापता हो गईं और फिर दो दिन बाद चीला नहर से उनका शव बरामद किया गया।

जांच में सामने आया कि रिज़ॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ, और कर्मी अंकित ने उन्हें ‘अनैतिक कार्य’ के लिए मजबूर किया, और जब उन्होंने विरोध किया तो हत्या कर दी गई।

ट्रायल का सफर: 500 पन्नों की चार्जशीट और 47 गवाह

  • केस की पहली सुनवाई 30 जनवरी 2023 को हुई

  • SIT जांच के बाद अभियोजन पक्ष ने 500 पन्नों की चार्जशीट दाख़िल की

  • ट्रायल करीब 2 साल 8 महीने चला

  • 47 गवाह पेश किए गए

19 मई 2025 को दोनों पक्षों की बहस पूरी हुई, और 30 मई को कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया।

वंतरा रिज़ॉर्ट नहीं, बना ‘विवादों का वॉटरफॉल’

जिस रिज़ॉर्ट में सुकून बेचा जाता था, वहां अंकिता को मजबूर किया गया था ‘सिस्टम की सड़ांध’ में डूबने के लिए।
आज पुलकित एंड कंपनी को उम्रक़ैद तो मिली है, पर सवाल यह है कि क्या ऐसी मानसिकता को भी उम्रक़ैद मिलेगी?

इंसाफ मिला, पर जख्म अभी भी ताज़ा हैं

अंकिता की मौत एक बेटी की नहीं, समाज की संवेदनाओं की हत्या थी। कोर्ट का यह फैसला केवल तीन अपराधियों को सज़ा नहीं देता, बल्कि उस राजनीतिक और सामाजिक ढांचे पर तमाचा है, जो अपराधियों को संरक्षण देता है।

अब देश को इंतज़ार है — क्या ऐसे केसों में इंसाफ तेज़ और सख्त मिलेगा या फिर हर अंकिता को ऐसे ही लड़ना पड़ेगा?

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